यज्ञोपवीत संस्कार रहित व्यवहार में वर्ज्य है

यज्ञोपवीत संस्कार के नियम से विहीन ब्राह्मण व्यवहार -बहिष्कृत हैं -

जिस ब्राह्मण के पिता या पितामह आदि का विधिवत् यज्ञोपवीत-संस्कार नही हुआ , जिन्हें वेद -शास्त्रों की जानकारी नहीं , जो आचार संस्कार की परम्परा से विच्छिन्न हैं , वह उसके पिता , पूर्वज ब्रह्मघाती हैं , उनके साथ रोटी -बेटी का कोइ सम्बन्ध नही रखना चाहिये , ऐसे ब्रह्मघाती कुलों को अपने लिये प्रायश्चित्त की कामना करनी चाहिये ।

यस्य पिता पितामह इत्यनुपेतौ स्यातां ते ब्रह्महसंस्तुताः, तेषामभ्यागमनं भोजनं विवाहमिति च वर्जयेत्। तेषामिच्छतां प्रयश्चितम्। (श्रीआपस्तम्बधर्मसूत्रम् १/१/३२-३४ )

इसी प्रकार सन्ध्यादि से विहीन ब्राह्मण भी अत्यन्त निन्दनीय जानने चाहिये । शास्त्र मे कहा गया है कि कलियुग मे अनगिनत राक्षस ब्राह्मण कुलों मे जन्म लेंगे । ऐसे ब्राह्मण नामधारी राक्षसों से कुलीन सभ्य सुसंस्कृत ब्राह्मणों को सदैव सावधान रहना चाहिये । अस्तु ।

नीतिशास्त्र में भी कहा गया है कि जिनके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं , ऐसे वह मनुष्य धरती के भार हैं , तथा वे ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग (वनचर पशु ) -

येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।