(१) कर्म जाति का अधिष्ठान है तथा जाति जन्म का अधिष्ठान है । जन्म > जाति > कर्म अतः जाति कर्ममूलक होती है तथा जन्म जातिमूलक होता है…
और पढ़ेंआ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम् आ राष्ट्रे राजन्यः शूर ऽ इषव्यो ऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर् वोढानड्वान् आशुः सप्तिः पुरंधिर् योषा जि…
और पढ़ेंसमूहयज्ञोपवीतकी धज्जियाँ यज्ञोपवीत-संस्कार कोई पूजा-पाठ का सामान्य विषय नहीं हैं,अपितु जैसे मंत्र-शास्त्रमें सद्गुरु द्वारा पात्रवान् शिष्य को दिक…
और पढ़ेंगृह्यसूत्र मनुष्य जीवन के द्वितीय अवस्था गृहस्थ आश्रम के नियमों का वर्णन करता है । गृहस्थ आश्रम के नियमों का वर्णन करने वाले सूत्र हैं अतः इनको गृह्यसू…
और पढ़ेंसभी वर्णों ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ) को चाहिए कि वे उष:काल में उठकर पूर्व की ओर मुख करके देवताओं का ध्यान करके स्वधर्म, अर्थ तथा इनसे सम्ब…
और पढ़ेंसंध्या तत्त्व विमर्श भाग-२ १_संध्याके_लिये_उत्तम_देश_तथा_काल २_सन्ध्याका_काल ३_कर्मलोपका_प्रायश्चित्त ४_अशौचमें_संध्योपासनका_विचार …
और पढ़ेंसंध्या तत्त्व विमर्श भाग-१ १_संध्यापरिचय २_संध्योपासनाका_अर्थ ३_संध्या_करनेसे_लाभ ४_संध्या_न_करनेसे_हानि #१_सन्ध्यापरिचय ॐकार…
और पढ़ेंअपने कुल और बीज की रक्षा करे। कुलीन जनों रोटी बेटिं का व्यवहार अपने ही समाज में करे। अंतरजातीय_विवाहधर्मवराष्ट्रहेतुविषाणु दैनिक भास्कर' (दि…
और पढ़ेंकानपर_यज्ञोपवीत_रखनेका_रहस्य यज्ञोपवीत को शौचादिके समय कानपर रखने में कारण यह हैं-- (#ऊर्ध्वं_नाभेर्मेध्यतरः_पुरुषः_परिकीर्तितः||मनु १/९२||) 'पु…
और पढ़ेंउपाकर्म का अर्थ है प्रारंभ करना। उपाकरण का अर्थ है आरंभ करने के लिए निमंत्रण या निकट लाना। यह वेदों के अध्ययन के लिए विद्यार्थियों का गुरु के पास…
और पढ़ेंवर्णसंकरतासे बचना चाहिए विशेषकर ब्राम्हण क्षत्रिय वैश्यों को विकास की परिभाषा क्या है आजकल हमारा तात्पर्य है आजकल के राजनेताओ द्वारा परिभाषित विक…
और पढ़ेंशुक्लयजुर्वेदियाें के मूल ग्रन्थ (अध्येतव्य तथा ज्ञातव्य) शुक्लयजुर्वेदियाें के मूल ग्रन्थ वेदशाखा- माध्यन्दिनीय वाजसनेयि तथा काण्व वाजसनेयि …
और पढ़ेंजनेऊ के अनधिकारी एवम् जनेऊ के अधिकारी जनेऊ के अनधिकारी वर्णसंकरों -- (१)ब्राह्मण+शूद्रा का पुत्र (२)क्षत्रिय+शूद्रा का पुत्र (३)क्षत्र…
और पढ़ेंयज्ञोपवीत संस्कार रहित व्यवहार में वर्ज्य है यज्ञोपवीत संस्कार के नियम से विहीन ब्राह्मण व्यवहार -बहिष्कृत हैं - जिस ब्राह्मण के पिता…
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